Thursday, June 30, 2011

बेरोजगारों के लिए उम्मीद की एक किरण है जन शिक्षण संस्थान

                                                                                                                                                                      
 
           परिवार किसी भी व्यक्ति का पहला विद्यालय होता है ,जहां वो अपने जीवन का व्यावहारिक व्  सैद्धांतिक   ज्ञान  प्राप्त करता है |  लेकिन  कोई  भी  अपना जीवन सिर्फ इनके सहारे ही नहीं  गुजार सकता | व्यक्ति को व्यवसायिक शिक्षा की आवयश्कता ,   स्वयं तथा अपने परिवार को दो वक़्त की रोटी देने  के  लिए होती है |  सिर्फ आर्थिक रूप से समर्थ व्यक्ति को   ही  अपने आपको कमाने योग्य बनाने का  हक  नहीं  है  बल्कि गरीब को भी किसी भी कार्य में अपने आपको  माहिर बना कर कम से कम अपनी आजीविका तो बेहतर ढंग से कमा ही सकता है |  इन कार्यो में स्वयं को बेहतर  बनाने   व्  युवाओं    को  आत्मनिर्भर बनाने  में  भारत  सरकार  के मानव संसाधन मंत्रालय के अंतर्गत चंडीगढ़ स्थित  जनशिक्षण संस्थान ऐसे कोर्सो का पर्शिक्षण दे रहा है | 


          ऐसा ही  इस  संस्थान  द्वारा  ब्यूटीकल्चर  एंड  हेल्थ  केयर  का  एक  कोर्स  इस संस्थान द्वारा चलाया  जा रहा है , जिसकी  सहायता से अपनी  आजीविका कमा पाने में सफलता प्राप्त करने वाली महिला सरोज जिसने अपने पारिवारिक स्थिति को सुधरने में अपने पति की सहायता की |  उसने इस संस्थान द्वारा इस कोर्स का पूरा प्रशिक्षण जो वहां पर उपस्थित अच्छे अध्यापकों से प्राप्त कर अब एलीगेट हर्बल ब्यूटी पार्लर में ब्यूटीशिअन की नौकरी कर अच्छा वेतनमान प्राप्त कर रही है |  इसी प्रकार इस कोर्स के द्वारा मनीमाजरा की मीनू रानी , और एक महिला जो मलोया किया खोका मार्केट में स्वयं का ब्यूटी पार्लर चला रही है | इसी तरह सफलता की राह पर कदम बढाता हुआ तथा दूसरों को अताम्निर्भर बनता हुआ यह ब्यूटीकल्चर का कोर्स गरीब , असहाय तथा अनपढ़ों के लिए उम्मीद की एक रोशनी है |


           चंडीगढ़  स्थित  जन शिक्षण संस्थान  अनपढ़ों  ,  गरीबो  , गरीबी  रेखा  से  निचे , जीवन  जीने  की उम्मीद  छोड़  चुके  जेल  के कैदी , या फिर अनाथों को विभिन्न  व्यवसायिक कोर्सो की जानकारी देकर आत्मनिर्भर बना रहा है | 

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Monday, June 20, 2011

गरीबों के लिए एक आवाज :सामुदायिक रेडियो

                     गरीबों  के  लिए एक आवाज :सामुदायिक रेडियो  

           मनोरंजन ज्ञान एवं सूचना का सबसे पुराना एवं पहला लोकप्रिय श्रव्य माध्यम रेडियो रहा है | आज सूचना क्रांति का दौर है और  रेडियो ऐसा माध्यम है ,     जो एक आम आदमी की पहुँच में है और जनसाधारण को जागरूक करने    का  कार्य करता है |  रेडियो ने न केवल सूचना बल्कि शिक्षा जगत में भी अहम् भूमिका निभाई है |  रेडियो  चैनलों की बढती मांग को देखते हुए मनोरंजन के साथ भरमार में  सामुदायिक रेडियो स्टेशन (सीआरएस) पिछले  लगभग एक दशक से स्थानीय संचार के रूप में एक बहुत सुदृढ़ साधन बन कर उभरा है |  यह रेडियो स्टेशन एशिया ,अफ्रीका तथा संसार के अन्य कई देशों में भी साधन हीन निर्बल वर्गों  को आवाज देने का एक असाधारण और अदृश्य माध्यम बना  है | यह विभिन्न समुदायों को अपने जीवन से सम्बंधित मुद्दों के बारे में आवाज उठाने का  कार्य करता है |  रेडियो स्टेशन के जरिये  उन समुदायों के लोग अपने समूहों की बात  अपनी आवाज में रखते हैं  | ग्रामीण विकास , कृषि , स्वास्थ्य पोषक आहार , शिक्षा तथा पंचायती राज जैसे मुद्दों के बारे में सूचना प्रसारित करके ये रेडियो स्टेशन विकास प्रक्रिया को आसान बना सकते हैं और सरकार इनके जरिये लाभार्थियों तक पहुँच सकती हैं |

           भारत में सामुदायिक रेडियो स्टेशन बड़े शहरों के साथ - साथ छोटे शहरों  के समुदायों को अपनी बात सरकार तक पहुँचाने  में सहायता प्रदान करता है  | भारत में पहले  सामुदायिक रेडियो  वर्ष  2002  में अनुमोदित नीतिगत दिशा -निर्देशों द्वारा  दिशा  निर्देशित  होते थे |   इन दिशा -निर्देशों में आधारभूत  बदलाव हुआ |  सरकार ने सामुदायिक रेडियो के लिए  दिशा -निर्देशों जिनमे केवल शिक्षण संस्थानों  को ही सामुदायिक रेडियो  स्टेशन चलाने की अनुमति थी , में परिवर्तन किया और   नए दिशा - निर्देशों  से पात्रता सम्बन्धी मानकों       का दायरा व्यापक हो गया | समुदाय आधारित संगठनों           तथा नागरिक  संस्थानों  और स्वैच्छिक  संगठनों ,  राज्य कृषि विश्वविद्यालयों   (एसएयू) ,  भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् संस्थान , कृषि विज्ञान केन्द्रों , पंजीकृत सोसायटियों\ स्वायत निकायों \सोसायटी अधिनियम के तहत पंजीकृत सार्वजानिक    ट्रस्टों को सामुदायिक रेडियो स्टेशन चलाने की अनुमति दी गई |
          
              पूरी दुनिया में सामुदायिक रेडियो ने जागरूकता पैदा करने और लोगों के विकास में सहयोग देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है |  सीआरएस  ने  आपदाओं तथा सुनामी , बाढ़ , भूकंप  जैसी प्राकृतिक  विपत्तियों के समय भी समुदायों को सहायता उपलब्ध करवाई है |   सामुदायिक रेडियो  आम जनता की समस्याओं को सरकार तक पहुँचाने का सशक्त जरिया है |                               

भारत में  सीआरएस का स्तर
 
          सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की वर्ष 2010 -11 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार  नए दिशा - निर्देशों के अंतर्गत सरकार को शिक्षण संस्थानों ,
गैर - सरकारी संगठनों , कृषि विश्व विद्यालयों , कृषि विज्ञान केन्द्रों से 825 आवेदन पत्र प्राप्त हुए हैं |  अभी तक 263 आवेदकों को आशय पत्र (एलओआई) जारी किये जा चुके हैं |  वर्ष 2010 में , 75 एलओआई जारी किये गए थे जो किसी एक कलैंडर वर्ष में सबसे ज्यादा हैं |  24 स्टेशन एनजीओ के द्वारा , 71 शिक्षण संस्थानों द्वारा और 8  कृषि संस्थानों  द्वारा चलाए जा रहे हैं | वर्ष 2010  में आरम्भ हुए  सीआरएस  की संख्या 64 से बढ़कर 103  हो गई है |  

           सरकार  ने सामुदायिक रेडियो नीति को व्यापक रूप से प्रसारित  करने का निर्णय लिया है |  सामुदायिक रेडियो के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में क्षेत्रीय तथा राज्य स्तर पर जागरूकता और क्षमता निर्माण कार्यशालाएं  और संगोष्ठियाँ आयोजित की गई हैं |  पूरे  हरियाणा में   केवल  चौधरी  देवी  लाल  विश्वविद्यालय  सिरसा में ही  सामुदायिक रेडियो स्टेशन  की सेवा उपलब्ध हैं जिससे जिले के लोगों को बहुत लाभ प्राप्त हो रहा है | सरकार ने सामुदायिक  रेडियो की नीति को व्यापक रूप से प्रसारित करने का निर्णय लिया है | इन विचार संगोष्ठियों से   सीआरएस  चलाने के इच्छुक आवेदकों को दिशा -निर्देशों , आवेदन प्रक्रिया , तकनिकी मुद्दों तथा विषय - वस्तु और स्थायित्व सम्बन्धी मुद्दों के बारे में अपनी शंकाओं को दूर करने में मदद मिली है |
       
 सामुदायिक रेडियो की सफलता की गाथा

रेडियो गुडगाँव की आवाज
          
           गुडगाँव  की  आवाज  सामुदायिक  रेडियो  स्टेशन  107 .8    मेगाहर्ट्ज़   नागरिक  समाज दवारा संचालितेक सामूदायिक रेडियो स्टेशन है जो सप्ताह में सातों दिन 22 घंटे प्रसारण करता है | इस रेडियो स्टेशन की रंगे गुडगाँवके उधयोग विहार के चारों  और 10 से 15 किलोमीटर है | यह रेडियो स्टेशन दिल्ली के शहरी उपनगर के रूप में उभरते गुडगाँव के आस - पास अलग- थलग पड़े समुदायों खासकर गाँव में रहने वाले लोगों दवारा चलाया जा रहा है और उन्हीं के लिए है | इस रेडियो स्टेशन पर लाखों प्रवासी श्रमिकों तथा शहरी निवासियों की आवाज , गीत , कहानियां और इन लोगों के जीवन - संघर्ष की चर्चाएँ होती रहती हैं | ये वो लोग हैं जिनके लिए शीशे से बने बड़े - बड़े विशाल भवन और चमक - दमक भरे माल इस शहर में केवेल असंतुलित विकास के प्रतिक के तौर पर हैं | गुडगाँव की आवाज  ने महिलाओं , पढ़ाई बीच में छोड़ देने वाले स्कूली बच्चों , कोलेज छात्रों तथा लोक - कलाकारों  के लिए मनोरंजन का एक स्त्रोत हैं |इस स्टेशन ने इन लोगों को प्रसिद्ध पहचान तथा आमदनी का अवसर दिया है | इस प्रकार सामुदायिक रेडियो अपनी सफलता की सीढ़ी चढ़ रहा है |

Wednesday, June 15, 2011

फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी भारतीय डायस्पोरा

                                                                                                       
  भारतीय डायस्पोरा ....   फिर  भी दिल हैं  हिन्दुस्तानी



आज प्रवासी भारतीयों का आकार , फैलाव और बढ़ता प्रभाव सचमुच प्रभावशाली हैं |  भारतीय डायस्पोरा पूरे विश्व में फैला हुआ हैं  | यह इतना व्यापक है कि भारतीय  डायस्पोरा में सूर्य कभी अस्त नहीं होता है |  इसकी संख्या अनुमानत: 25  लाख से अधिक हैं  |  प्रवासी भारतीय  समुदाय विविध रंग बिरंगा, उदार विश्व समुदाय है जिसमे अलग-अलग क्षेत्रों ,भाषाओं  ,संस्कृतियों और विश्वासों से सम्बन्ध रखने वाले लोग हैं  |  दुनिया के हर कोने में प्रवासी भारतीय समुदाय का कठिन परिश्रम अनुशासन दखलंदाजी न करने और स्थानीय लोगों  के साथ घुल मिल जाने की   प्रवृति  के कारण सम्मान किया जाता है |
     डायस्पोरा सेवा प्रभाव प्रवासी भारतीयों जिनमे भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओं) और अनिवासी भारतीय (एनआरआई )शामिल है| यह प्रवासी भारतीय नागरिकता के मामलों , प्रवासी भारतीय दिवस , भारतीय मूल के विद्यार्थियों को छात्र वृतियां और पर्यटन मीडिया , युवा कार्य शिक्षा संस्कृति आदि में भारत के साथ प्रवासी भारतीयों के आपसी तालमेल को बढाने की  नई पहलों से सम्बन्धी सभी मामलों कि देख रेख करता है |
  अनिवासी भारतीयों को मतदान का अधिकार
     प्रवासी भारतीय  कार्य  मंत्रालय की  रिपोर्ट के अनुसार भारत के प्रधान मंत्री ने प्रवासी भारतीय दिवस 2010 में यह घोषणा कि थी कि हम कुछ 10 मिलियन अनिवासी भारतियों के मतदान का अधिकार प्रदान करने के लिए कदम उठाएंगे |जन प्रतिनिधित्व अधिनियम , 22 सितम्बर  2010 को अधिसूचित किया गया | वहां  के मतदान केंद्र में पंजीकरण कराने का प्रावधान करता है |3  फरवरी 2011 को प्रवासी मतदाताओं  को देश की  चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति देते हुए , निर्वाचक नियमों का पंजीकरण , 1960  में संशोधन करने के लिए एक अधिसूचना जारी की गई |
    
      दोहरी  नागरिकता
      दोहरी नागरिकता के लिए विशेष रूप से उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप , ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में डायस्पोरा से लम्बे समय से निरंतर चली  आ रही मांग और प्रवासी भारतीयों की आकांक्षाओं और इच्छाओं को ध्यान में रखते हुए नागरिकता अधिनियम 1955  में संशोधन करके प्रवासी भारतीय योजना अगस्त 2005  में शुरू की गई | योजना में भारतीय मूल के सभी लोगो जो 26  जनवरी 1950  को या उसके बाद भारत के नागरिक थे या जो इस  समय नागरिक बनने के योग्य थे उनको प्रवासी भारतीय नागरिक के रूप में पंजीकरण कराने का प्रबंध हैं  |
भारतीय मूल के लोगों  के लिए  विश्वविघालय  
     भारतीय मूल के लोगो के लिए विश्वविघालय की स्थापना नवाचार विश्वविधालय अधिनियम के दौरान एक निजी संगठन दवारा की जाएगी प्रवासी भारतीय कार्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार निजी क्षेत्र के माध्यम से आने वाले, वहीं  भारतीय मूल के छात्र हमारे मंत्रालय की छात्रवृति योजना के द्वारा  प्रवेश पा सकेंगे इस प्रकार भारत  सरकार की आरक्षण नीति के  भीतर  समायोजित  होगा | 

प्रवासी  भारतीयों  के लिए प्रोत्साहन
प्रवासी भारतियों द्वारा भारत की  अर्थव्यवस्था  और  सामाजिक    गतिविधियों के   योगदान  को  प्रोत्साहन  देने   हेतु  सरकार  द्वारा  अनेकों पहल कदमियां  की   गई  वर्ष  2003  से लगातार हर वर्ष  जनवरी में  प्रवासी भारतीय दिवस   मनाया जाता है |  जिसका उदेश्य भारत को इसके विशाल डायस्पोरा से जोड़ना और उनके ज्ञान , विशेषज्ञता और कौशल को एक सामान्य मंच पर लाना है |  प्रवासी भारतीय सम्मान  पुरस्कार उस अनिवासी भारतीय , मूल के व्यक्ति या अनिवासी भारतीय या भारतीय मूल के दवारा स्थापित चलाई जा रही  संस्था या संस्थान को दिया जाता है जिसमे अपने निवास के देश में भारत की इज्जत को बढ़ने के लिए किसी भी क्षेत्र में अनोखा कार्य किया हो | भारत जानो कार्यक्रमों के आयोजन का उद्देश्य 18-26 आयु वर्ग के भारतीय डायस्पोरा  युवाओं  को हमारे देश में हुए विकास कार्यों और उपलब्धियों की जानकारी देना हैं|अब तक 502 प्रवासी  भारतीय युवाओं ने इनमें  भाग लिया है |     मंत्रालय की पहल पर भारत जानो कार्यक्रम वेबसाइट पर एक सामाजिक नेटवर्क शुरू किया था| यह वेबसाइट अब  सक्रिय है| डायस्पोरा बच्चों के छात्रवृति कार्यक्रम नामक एक योजना शैक्षिक  वर्ष 2006 -07 में शुरू की गई थी|इस योजना के अंतर्गत प्रतिवर्ष 3600 अमरीकी डॉलर तक की छात्रवृतियां  भारतीय मूल के लोगों  और अप्रवासी  भारतीय विद्यार्थियों को  इंजिनियर/प्रौद्योगिकी ,  मानवीय/उदारीकृत कला , होटल  प्रबंध,प्रबंध पत्रकारिता , कृषि/पशु-पालन  आदि में स्नातक पाठ्यक्रमो के लिए दी जाती हैं |

प्रवासी भारतीयों   के  विवाह से जुडी   समस्याएं  
प्रवासी भारतीय विवाहों की समस्या जटिल हैं|क्योंकि यह अंतर्राष्ट्रीय कानून के सीमा क्षेत्र में आती है | यह एक सामाजिक मामला भी है इन मामलो को निपटने के लिए मंत्रालय की कोशिश भावी दुल्हनों और इनके परिवारों में उनके अधिकारों   व  कर्तव्यो से जुड़ी  जागरूकता का  निर्माण करने  जा रही ही है| राष्ट्रीय महिला आयोग प्रवासी भारतीय  दुल्हनों   के  विवाह  से  जुडी
 समस्याओं के निपटान में  भूमिका निभा रहा है |प्रवासी भारतियों पतियों द्वारा छोड़ी हुई भारतीय  महिलाओं को कानूनी और  वित्तीय  सहायता देने के लिए योजना प्रदान  कर रहा हैं |
 भारत सरकार के कार्यक्रमों और गतिविधियों  का मुख्य उदेश्य भारत
और उसके डायस्पोराके बीच व्यापक सम्बन्ध कायम करने के लिए
स्थितियां,भागीदारीऔर संस्थाएं  स्थापित  करना  हैं चूँकि  नया भारत एक
 महत्वपूर्ण भूमंडलीय भागीदार बनना चाहता है ,इसके लिए भारत 
और प्रवासी भारतीयों के बीच मजबूत और टिकाऊ सम्बन्द बनाने का समय  आ  गयाहै जब किप्रवासी भारतीय, भारत द्वारा प्रदान   किये जा रहे  व्यापक अवसरों का लाभ उठायें |             
भारत की सांस्कृतिक विरासत लिए ये अप्रवासी भारतीय विश्व के हर कोने  में  अपनी कड़ीमेहनत,कर्तव्यनिष्ठा ,और ईमानदारी से प्रगति के परचम  लहरा रहे  है और विभिन्न  देशो में रहने वाले ,    विभिन्न   धर्मो वाले ,विभिन्न भाषाओं वाले,विभिन्न विचारों वाले-"अनेकता  में एकता"की उस महान धारणा के प्रतीकहै,जिसका भारत प्रतिनिधित्व करता है|प्रवासी भारतीय मंत्रालय  परदेस में बसे इन भारतीयों के हितों  की सुरक्षा के लिए प्रतिबद् है| 
                                                                                                                 

Tuesday, June 14, 2011

साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम

 साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए सूचना  प्रौद्योगिकी  अधिनियम


                                                                                                                                      -निधि जैन-
 जब भी  कभी नई खोज होती है तो असामाजिक तत्वों   दवारा उसके दुरूपयोग तथा तोड़ साथ ही  खोज लिए  जातें  है इसी तरह साइबर अपराध भी  साइबर  सुविधा  के  आरंभ  के  साथ  हो गया |  इस क्षेत्र में बढ़ रही साइबरआपराधिक गतिविधियों  को देखते हुए भारत सरकार के सूचना  प्रौद्योगिकी   मंत्रालय ने इस पर अंकुश लगाने की  दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं  |  साइबर सुरक्षा एक चुनौती है जिसके बारे में  एक आम व्यक्ति सिर्फ सोच सकता है  लेकिन साइबर सुरक्षा उनके हाथ में नहीं है |
   
 साइबर अपराध हमारे समाज को खोखला कर रहे है ये  साइबर आतंकवाद ,बाल अशलील सामग्री ,गोपनीयता का उल्लंघन और माध्यमिक संगठनो द्वारा आंकड़ो  के  रिसाव  आई  ई वाणिज्यिक धोखाधड़ी इत्यादि जैसी गतिविधियाँ है | साइबर अपराध अपने शैतानी  दिमाग से कंप्यूटर हैक कर करोड़ों की करंसी को  एक बैंक अकाउंट से दुसरे में ट्रान्सफर कर  लेते हैं  | आज आम व्यक्ति को  जागरूक होने की जरुरत  है | 
       सूचना  प्रौद्योगिकी  तथा  नेटवर्क की बढती  जटिलताओ  से  प्रदाताओ  और  आईटी  उपभोक्ताओ  दोनों के लिए सुरक्षा  चुनौतियाँ  बढ़ गई है | हमारा  भारत देश इस समय हर क्षेत्र में विकासशील स्तर पर है |इस स्तर पर अगर किसी भी तकनीक को किसी प्रकार का खतरा उत्पन्न  होता है तो, उसके लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये जाने बहुत जरुरी है  | देश के साइबर स्पेस  को सुरक्षित रखने की साइबर सुरक्षा नीति  को इन प्रमुख  प्रयासों के साथ आगे बढाया जा रहा है :-
 (क)  सुरक्षा अनुसन्धान और विकास
 (ख)  सुरक्षा नीति अनुपालन और आश्वासन  
 (ग)  सुरक्षा घटना शीघ्र चेतावनी और प्रत्युत्तर
 (घ)  सुरक्षा प्रशिक्षण
    
       साइबर  सुरक्षा , अनुसन्धान और  विकास  प्रयास  कौशल   की  विकास और  मूलभूत  अनुसन्धान , प्रौद्योगिकी प्रदर्शन तथा संकल्पना  प्रमाणन और अनुसन्धान तथा विकास प्रशिक्षण बैच  परियोजनाओ की सुविधा  द्वारा साइबर  सुरक्षा के क्षेत्र में  विशेषज्ञता  पर  लक्षित है | इस  क्षेत्र में किये जाने वाले अनुसंधान  और  विकास में क्रिप्टोग्राफी और क्रिप्ट विश्लेषण नेटवर्क और सिस्टम  
सुरक्षा , निगरानी और न्याययिक विज्ञान , मान्यता प्राप्त अनुसन्धान और  विकास  संगठनों
में   प्रायोजित   परियोजनाओ  द्वारा संवेदनशीलता और रेडीमीएशन आश्वासन  शामिल है  | साइबर  न्यायलयिक विज्ञान टूल किट का एक उन्नत संस्करण  तैयार किया गया है, जिसके  माध्यम  से  साइबर  अपराध  की  रोकथाम के प्रयास किये जा रहे है |  
        
साइबर कानून 
साइबर कानून से अभिप्राय है ,सूचना प्रौद्योगिकी के विकास कार्यों तथा इसमें किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न करना या इसका गलत प्रयोग आदि पर अधिनियम व कानून बनाकर ऐसे लोगो पर रोक लगा देता है जिससे सुरक्षा बढ़ जाती है | सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम , 2000  जिसमे लेनदेन के लिए क़ानूनी रूपरेखा को इलेक्ट्रौनिक रूप से कार्यान्वित किया गया , ई- वाणिज्य ,ई -शासन में सुविधा  प्रधान करने तथा कंप्यूटर सम्बन्धी अपराधों पर ध्यान रखने के लिए बनाया गया है | सूचना प्रौद्योगिकी  अधिनियम 2008  की धारा 52 , 54 , 69  क , 69ख  के  सम्बन्ध  में  नियम  अधिसूचित  किये  गए  है, इनमे  से कुछ इस प्रकार है :-  
  • साइबर अपील ट्रिब्यूनल नियम(अध्यक्ष तथा सदस्यों के वेतन भत्ते और सेवा की अन्य शर्तें और निबंधन ) 2009 
  •  साइबर अपील ट्रिब्यूनल( अध्यक्ष तथा सदस्यों के दुर्व्यवहार या क्षमता की जांच पड़ताल की प्रक्रिया ) नियम 2009
  •  सूचना प्रौद्योगिकी (सूचना के इंटरसेप्शन ,निगरानी और डीक्रिपशन के लिए प्रक्रिया और सुरक्षा)  नियम  2009
  •  सूचना प्रौद्योगिकी (जनता दवारा सूचना  की अभिगम्यता को रोकने के लिए प्रक्रिया और सुरक्षा  ) नियम 2009
  •  सूचना प्रौद्योगिकी (ट्रैफिक डेटा या सूचना की निगरानी और संग्रह के लिए प्रक्रिया और सुरक्षा ) नियम 2009 
  भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल (आई सर्ट)
 
   आई सर्ट एक राष्ट्रीय नोडल एजेंसी है जो कंप्यूटर सुरक्षा घटनाएँ घटित होने पर प्रतिक्रिया करते है आई  सर्ट  वेबसाइट पर सूचना का प्रसार करके सुरक्षा मुद्दों पर जागरूकता पैदा  करती  है   और  24x7  घटना प्रतिक्रिया हेतु हेल्प डेस्क का प्रसार करती है |   यह  साइबर  अपराध  की  घटना  की  रोकथाम  और  प्रतिक्रिया   सेवाएं   और  सुरक्षा   गुणवत्ता  प्रबंधन  सेवाएँ प्रदान करती है |

साइबर सुरक्षा अभ्यास          

  भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल दवारा सुरक्षा के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण सूचना मूल सरंचना संगठनों के साथ नकली अभ्यास किया जाता है |  इन अभ्यासों से सूचना मूल सरंचना की     साइबर सुरक्षा की स्थिति  में काफी सुधार आया है और जनशक्ति को साइबर सुरक्षा बढाने , महत्वपूर्ण क्षेत्र संगंठनों के बीच जागरूकता, बढाने के अलावा साइबर घटनाओं से निपटने का  प्रशिक्षण  दिया जता है|

 साइबर अपराध विज्ञान

 साइबर अपराधों कंप्यूटर  न्यायलयिक   विज्ञान डिजिटल साक्ष्य की इमेजिंग  और विश्लेषण, मोबाइल न्यायलयिक विज्ञान और नेटवर्क न्यायलयिक विज्ञान की जांच पड़ताल पर कानून परवर्तन कारी एजेंसियों को स्वयं करने का व्यवहारिक   प्रशिक्षण  आई सर्ट दवारा आयोजित कार्यशालाओं राज्य पुलिस और अन्य प्रशिक्षण संस्थानों में कानून प्रवर्तन एजेंसियों को दिया गया |आई सर्ट अन्य अंतर राष्ट्रीय सर्ट के साथ संवेदनशीलता
 और छल्युक्त कॉर्ड के विषय में जानकारी का आदान प्रदान करता है |

     माना के साइबर अपराध बढ़ें है , पर  इस  चुनौती  से  निपटने  के  लिए सरकारी  प्रयास जारी है |  भले ही    आई सर्ट साइबर अपराध विज्ञान तथा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियमों के प्रावधानों से  इन अपराधों पर कुछ हद तक पर रोक लगी  है ,  लेकिन इन  अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए  इसे एक सशक्त  मुहिम  की तरह लिया  जाना जरुरी है , ताकि आम जनता में छिपे अपराधियों को दण्डित किया जा सके |


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