Monday, June 20, 2011

गरीबों के लिए एक आवाज :सामुदायिक रेडियो

                     गरीबों  के  लिए एक आवाज :सामुदायिक रेडियो  

           मनोरंजन ज्ञान एवं सूचना का सबसे पुराना एवं पहला लोकप्रिय श्रव्य माध्यम रेडियो रहा है | आज सूचना क्रांति का दौर है और  रेडियो ऐसा माध्यम है ,     जो एक आम आदमी की पहुँच में है और जनसाधारण को जागरूक करने    का  कार्य करता है |  रेडियो ने न केवल सूचना बल्कि शिक्षा जगत में भी अहम् भूमिका निभाई है |  रेडियो  चैनलों की बढती मांग को देखते हुए मनोरंजन के साथ भरमार में  सामुदायिक रेडियो स्टेशन (सीआरएस) पिछले  लगभग एक दशक से स्थानीय संचार के रूप में एक बहुत सुदृढ़ साधन बन कर उभरा है |  यह रेडियो स्टेशन एशिया ,अफ्रीका तथा संसार के अन्य कई देशों में भी साधन हीन निर्बल वर्गों  को आवाज देने का एक असाधारण और अदृश्य माध्यम बना  है | यह विभिन्न समुदायों को अपने जीवन से सम्बंधित मुद्दों के बारे में आवाज उठाने का  कार्य करता है |  रेडियो स्टेशन के जरिये  उन समुदायों के लोग अपने समूहों की बात  अपनी आवाज में रखते हैं  | ग्रामीण विकास , कृषि , स्वास्थ्य पोषक आहार , शिक्षा तथा पंचायती राज जैसे मुद्दों के बारे में सूचना प्रसारित करके ये रेडियो स्टेशन विकास प्रक्रिया को आसान बना सकते हैं और सरकार इनके जरिये लाभार्थियों तक पहुँच सकती हैं |

           भारत में सामुदायिक रेडियो स्टेशन बड़े शहरों के साथ - साथ छोटे शहरों  के समुदायों को अपनी बात सरकार तक पहुँचाने  में सहायता प्रदान करता है  | भारत में पहले  सामुदायिक रेडियो  वर्ष  2002  में अनुमोदित नीतिगत दिशा -निर्देशों द्वारा  दिशा  निर्देशित  होते थे |   इन दिशा -निर्देशों में आधारभूत  बदलाव हुआ |  सरकार ने सामुदायिक रेडियो के लिए  दिशा -निर्देशों जिनमे केवल शिक्षण संस्थानों  को ही सामुदायिक रेडियो  स्टेशन चलाने की अनुमति थी , में परिवर्तन किया और   नए दिशा - निर्देशों  से पात्रता सम्बन्धी मानकों       का दायरा व्यापक हो गया | समुदाय आधारित संगठनों           तथा नागरिक  संस्थानों  और स्वैच्छिक  संगठनों ,  राज्य कृषि विश्वविद्यालयों   (एसएयू) ,  भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् संस्थान , कृषि विज्ञान केन्द्रों , पंजीकृत सोसायटियों\ स्वायत निकायों \सोसायटी अधिनियम के तहत पंजीकृत सार्वजानिक    ट्रस्टों को सामुदायिक रेडियो स्टेशन चलाने की अनुमति दी गई |
          
              पूरी दुनिया में सामुदायिक रेडियो ने जागरूकता पैदा करने और लोगों के विकास में सहयोग देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है |  सीआरएस  ने  आपदाओं तथा सुनामी , बाढ़ , भूकंप  जैसी प्राकृतिक  विपत्तियों के समय भी समुदायों को सहायता उपलब्ध करवाई है |   सामुदायिक रेडियो  आम जनता की समस्याओं को सरकार तक पहुँचाने का सशक्त जरिया है |                               

भारत में  सीआरएस का स्तर
 
          सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की वर्ष 2010 -11 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार  नए दिशा - निर्देशों के अंतर्गत सरकार को शिक्षण संस्थानों ,
गैर - सरकारी संगठनों , कृषि विश्व विद्यालयों , कृषि विज्ञान केन्द्रों से 825 आवेदन पत्र प्राप्त हुए हैं |  अभी तक 263 आवेदकों को आशय पत्र (एलओआई) जारी किये जा चुके हैं |  वर्ष 2010 में , 75 एलओआई जारी किये गए थे जो किसी एक कलैंडर वर्ष में सबसे ज्यादा हैं |  24 स्टेशन एनजीओ के द्वारा , 71 शिक्षण संस्थानों द्वारा और 8  कृषि संस्थानों  द्वारा चलाए जा रहे हैं | वर्ष 2010  में आरम्भ हुए  सीआरएस  की संख्या 64 से बढ़कर 103  हो गई है |  

           सरकार  ने सामुदायिक रेडियो नीति को व्यापक रूप से प्रसारित  करने का निर्णय लिया है |  सामुदायिक रेडियो के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में क्षेत्रीय तथा राज्य स्तर पर जागरूकता और क्षमता निर्माण कार्यशालाएं  और संगोष्ठियाँ आयोजित की गई हैं |  पूरे  हरियाणा में   केवल  चौधरी  देवी  लाल  विश्वविद्यालय  सिरसा में ही  सामुदायिक रेडियो स्टेशन  की सेवा उपलब्ध हैं जिससे जिले के लोगों को बहुत लाभ प्राप्त हो रहा है | सरकार ने सामुदायिक  रेडियो की नीति को व्यापक रूप से प्रसारित करने का निर्णय लिया है | इन विचार संगोष्ठियों से   सीआरएस  चलाने के इच्छुक आवेदकों को दिशा -निर्देशों , आवेदन प्रक्रिया , तकनिकी मुद्दों तथा विषय - वस्तु और स्थायित्व सम्बन्धी मुद्दों के बारे में अपनी शंकाओं को दूर करने में मदद मिली है |
       
 सामुदायिक रेडियो की सफलता की गाथा

रेडियो गुडगाँव की आवाज
          
           गुडगाँव  की  आवाज  सामुदायिक  रेडियो  स्टेशन  107 .8    मेगाहर्ट्ज़   नागरिक  समाज दवारा संचालितेक सामूदायिक रेडियो स्टेशन है जो सप्ताह में सातों दिन 22 घंटे प्रसारण करता है | इस रेडियो स्टेशन की रंगे गुडगाँवके उधयोग विहार के चारों  और 10 से 15 किलोमीटर है | यह रेडियो स्टेशन दिल्ली के शहरी उपनगर के रूप में उभरते गुडगाँव के आस - पास अलग- थलग पड़े समुदायों खासकर गाँव में रहने वाले लोगों दवारा चलाया जा रहा है और उन्हीं के लिए है | इस रेडियो स्टेशन पर लाखों प्रवासी श्रमिकों तथा शहरी निवासियों की आवाज , गीत , कहानियां और इन लोगों के जीवन - संघर्ष की चर्चाएँ होती रहती हैं | ये वो लोग हैं जिनके लिए शीशे से बने बड़े - बड़े विशाल भवन और चमक - दमक भरे माल इस शहर में केवेल असंतुलित विकास के प्रतिक के तौर पर हैं | गुडगाँव की आवाज  ने महिलाओं , पढ़ाई बीच में छोड़ देने वाले स्कूली बच्चों , कोलेज छात्रों तथा लोक - कलाकारों  के लिए मनोरंजन का एक स्त्रोत हैं |इस स्टेशन ने इन लोगों को प्रसिद्ध पहचान तथा आमदनी का अवसर दिया है | इस प्रकार सामुदायिक रेडियो अपनी सफलता की सीढ़ी चढ़ रहा है |

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